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जला सको तो जलाओ दिल का दिया

रात कितनी काली है कितनी खाली-खाली है. रौशनी गुमती जाती जिन्दगी से और तुम कहते हो दीवाली है. जब कोई दिया यहाँ बुझता है किसी कोने से बजती ताली है. धन की देवी की ये तो पूजा है पैसे वाले की ये दीवाली है. चंद लोगों के हिस्से ऐश आयी सारी है कितने लोगों के पेट आजकी रात खाली हैं. रौशनी बढती जाती रोज है बाहर और भीतर की दुनिया हुई स्याह काली है. जला सको तो जलाओ दिल का दिया तभी लगेगा की आज भी दीवाली है.

भारत बनाम इंडिया

संविधान कहता है हमारे देश को इंडिया that is भारत पर हम उस भारत के बाशिंदे हैं जो इंडिया नहीं. इंडिया और भारत के बीच की खाई बहुत लम्बी है, चौडी है, बहुत गहरी है; पर कौन सुने- सरकार तो सरकार, जनता तक बहरी है. भारत भूख से रोता है, ठण्ड से मरता है, भारत डाल फंदा गले में आत्महत्या करता है; भारत काम की तलाश में फिरता है मारा-मारा, भारत हर तरफ से दुरदुराया जाता है बेचारा. भारत गांवों में, स्लमों में बसता है, भारत जहाँ भी हो, उसकी हालत खस्ता है; इंडिया उसे देख नाक-भौं सिकोड़ता है, घृणा से थूक उसपे, मुंह अपना मोड़ता है. इंडिया की भाषा अंग्रेजी है, कल्चर विदेशी है, इंडियन यहाँ का नही, अमरीका का देशी है; इंडिया का पेट भरा है, पर उसकी भूख बड़ी है, वहीँ भारत को हर वक़्त दो जून की रोटी की पड़ी है. भारत इंडिया में खुद को अजनबी पाता है, इंडिया का भारत से बस शोषक-शोषित का नाता है; भारत का यह जीवट है की भारत अब तक जिन्दा है, पर, अब भारत अपने भारत होने पर शर्मिंदा है.