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मार्च, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वर्णमृग

पूरा जग ही माया है कोई पार ना पाया है रूप के पीछे हम भी, तुम भी इसने जग भरमाया है जूते घिसे, घिस गए तलवे कुछ भी हाथ ना आया है जिसके पीछे अबतक थे हम देखा केवल साया है अन्दर क्या है देखा किसने दिखती केवल काया है जब भी हमने देखा उसको देखा वो शरमाया है देखा आज जिसे फूल सा खिला देखा कल कुम्हलाया है उसको जब भी हँसते देखा खुद को बेखुद पाया है हरदम मेरे साथ चला कोई देखा उसका साया है खुद को जब भी तन्हा पाया उसको पास ही पाया है चाहे जितनी कड़ी धूप हो सर पे उसका साया है चाहूँ भी तो छूट ना सकता ऐसा फांस फंसाया है आई मन में उसकी ही छवि जब भी कोई याद आया है खोया है हम ने सब कुछ तब जाकर खुद को पाया है उसकी आँखों में जो झाँका अपना अक्स ही पाया है दोराहे पर ठिठका खड़ा हूँ वक़्त कहाँ हमें लाया है याद साथ तेरी, कलम हाथ मेरे जीवन पन्नों पर छितराया है रहो जहाँ भी, रहो खुश सदा दिल ने ये फ़रमाया है अब मैं हूँ और कलम संग है शब्द मेरा सरमाया है. (24 अप्रैल 2003 )

Ek Sher Apna, Ek Paraya-3

एक अरसे के बाद फिर से मन किया है की उस्तादों के रदीफ़-काफिये की कसौटी पर फिर से जोर-आजमाइश की जाई. तो लीजिए, मीर साहेब का एक शेर और उसी की तुक-ताल में मेरा प्रयास प्रस्तुत है.( 28 Jan 2010) ******** इश्क हमारा आह ना पूछो क्या-क्या रंग बदलता है! खून हुआ दिल दाग हुआ फिर दर्द हुआ फिर गम है अब!! ---मीर--- दुनिया की इस अंधी दौड़ में सब कुछ तो हासिल है हमें! फिर भी बैठ के सोचा करते,क्या ज्यादा,क्या कम है अब!! ---keshvendra---     ********   तुम नही पास, कोई पास नहीं! अब मुझे जिन्दगी की आस नहीं!! साँस लेने में दर्द होता है! अब हवा जिन्दगी की रास नहीं!! -------जिगर बरेलवी---- इस निगोड़ी जाम से जो बुझ जाये! ऐसी ओछी हमारी प्यास नही!! मेरी खुद्दारी को ललकारो नही! ये किसी के पैरों तले की घास नहीं!! ------केशवेन्द्र------   *********   दिल धड़कने से खफा है और आँखें नम नहीं! पीछे मुडके देखने की यह सजा कुछ कम नहीं!! -----शहरयार------ तेरे हुश्न की खुशबू से जुट जायेंगे भँवरे कई नए! देखना उस भीड़ में सब होंगे, होंगे हम नहीं !! ---केशवेन

एक शेर अपना एक पराया-२

साथियों, लो फिर से मैं आप लोगों की सेवा में हाजिर हूँ एक शेर अपना, एक पराया की दूसरी कड़ी लेकर. प्रयास कैसा लगा बताना मत भूलियेगा. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.   ********* जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो राख जुस्तजू निहाँ क्या है .....ग़ालिब........ खरोंचे जो दिल पे लगते है कभी नही भरते जो खोजते हो जिस्म पे निशाँ तो वहाँ क्या है ....केशवेन्द्र....... ******* घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर ले किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये =====निदा फाजली===== कांटे में फंस के तड़पती हुई मछली बोली ऐ खुदा! इस तरह ना किसी को फंसाया जाये. ------keshav------     ******** पूछते हैं वो कि ग़ालिब कौन है कोई बतलाये कि हम बतलाये क्या...... ग़ालिब जो उनने पूछा कि कितना प्यार करते हो तबसे हैं इस सोच में कि जतलाये क्या हम हनुमान नही इसका ही जरा गम है वरना कहते कि दिल चीर के दिखाए क्या.... केशवेन्द्र   *********     मुद्दतों से न हमें तेरी याद आई है और हम भूल गए है तुझे ऐसा भी नही....Firak इस इश्क की भूलभुलैयाँ में सब

तूने चोट दी है ऐसे, जैसे डंक हो बिच्छू के

खुशबू का एक झोंका, आया है तुझको छू के! आँखों से एक आंसू, छलका, गिरा है चू के !! झगडे के बाद बीबी-मियां, बैठे हैं गुमसुम से ! याद आ रहे दिन प्रेम भरे, उनको हैं शुरू के!! कैसा सुकून मिलता है, कहने में नही आता! बुजुर्गों की दुआ लेते हुए, उनके पाँव छू के!! छूटी है पाठशाला, मगर अब भी ये लगता है! सर पर बने हुए है हाथ, अब भी मेरे गुरू के !! सीने में कितना दर्द है, ये मुझको ही है मालूम! तूने चोट दी है ऐसे, जैसे डंक हो बिच्छू के!! कुछ रिश्ते नही बदलते, बदलने के ज़माने से ! पर मोटर बोटों के आते ही, दिन लदते हैं चप्पू के!! पप्पू को दुनिया वालों ने घोंचू भले हो माना! आई है खबर इस बार, टॉप होने के पप्पू के!!

तेरी.. नहीं है, तेरी कमी

रिश्तों में है बर्फ जमी! तेरी.. नहीं है, तेरी कमी!! दुनिया तो निकली अक्लमंद! बुद्धू ठहरे एक हमी!! धरती सूखी जाती है! आँखों में छुप गयी सारी नमी!! खंडहरों में जीते हैं! इक दिन बन जायेंगे ममी!! दिल ना डोले इन्सां का ! तब डोला करती है ये जमी!! बाजारू इस दुनिया में! हैं रिश्ते सारे बने डमी!! जाने क्या है होने वाला! साँसें है सहमी-सहमी!! बिकने कुछ दिल आये हैं! बाजार में है गहमा-गहमी!! रात में देखा सपना बुरा! चीख पड़ा-"मम्मी-मम्मी"!!

छाई इक धुंध- सी उदासी है

सब तो है पर कमी जरा-सी है! जिन्दगी लगता है कि बासी है!! तेरी यादों के सर्द मौसम पर! छाई इक धुंध- सी उदासी है!! जिस्म की बात छोडो जाने दो! रूह तक मेरी कब से प्यासी है!! कान कब से मेरे तरस से गए! तुम से मिलती नही शाबासी है!! साथ तुम थी तो लगता था,ये दुनिया! जन्नत तो नहीं है पर वहां-सी है!! तू खफा मुझसे, कोई बात नही! शुक्र है, यादें तेरी, मेहरबां-सी है!! हाल अब तो है ये अपना कि! जुबां होते हुए हालत बेजुबां-सी है!!

एक शेर अपना एक पराया-1

साथियों, बहुत दिनों से मेरे मन में यह ख्याल था कि ग़ज़ल के दुनिया के नामचीन शायरों के पसंदीदा शेरों कि तर्ज़ पर शेर लिखूं...और उसी को मूर्त रूप दिया मैंने ऑरकुट कि कम्युनिटी महकार-ऐ शफक के माध्यम से. तो लीजिए उनमे से कुछ चुने हुए अपने-पराये शेर आपकी नज़र है- ****** धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो जिन्दगी क्या है, किताबों को हटाकर देखो. ----निदा फाजली----- मन के अरमानों को बाहर भी कभी आने दो दिल के सैलाब में दुनिया को बहाकर देखो. - ------मेरा लिखा शेर---- ****** तुमको देखा तो ये ख्याल आया जिन्दगी धूप तुम घना साया - जावेद अख्तर दिल की हसरत कि दिल में घुट के रही तुम न रूठी, ना मैं मना पाया. ---केशवेन्द्र----- ******* मुझे खबर थी की वो मेरा नही पराया था प' धडकनों ने उसी को खुदा बनाया था. --शायर का तो पता नहीं पर गाया है लता जी ने-- जिसे ना देखने को बंद की थी ये आँखें बंद आँखों में वही ख्वाब बनके आया था. -केशवेन्द्र- ****** गम रहा जब तक की दम में दम रहा दिल के जाने का निहायत गम रहा. --------मीर-------- क्या कसक थी पता चल पाया नही आँखें छलकी र

उदासी के रंगों की खोज

विश्व की एक और बड़ी खोज यात्रा पर निकला हूँ मैं और यह खोज यात्रा एक छोटी-सी दिखने वाली चीज की है दुनिया में लोगों ने खोजे हैं हर भावना के रंग प्रेम के, शांति के, क्रांति के...भावनाओं की हर भ्रान्ति के उदासी के सच्चे रंग किसी को भी मालूम नही. इस खोज यात्रा में एक-एक कर मुझे करना था उन सारे रंगों का विश्लेषण जिन्हें जोड़ा जाता है उदासी या उदास होने से. सबसे पहले मैं पहुंचा श्वेत रंग के पास देखा तो वह मुझे अपनी धवलता में खिलखिलाता मिला श्वेत को उदासी से कैसे कोई जोड़ सकता है भला. खोज यात्रा आगे बढ़ी पहुची धूसर मटमैले रंगों के पास उनके पास से आई मिट्टी की सोंधी खुशबू और कुछ नए कोपलों के तुतले चहकते बोल धूसर मटमैला तो बड़ा ही खुशमिजाज रंग निकला. यात्रा आगे बढती रही. और इस बार मैं नीले रंगों के तट पर उतरा बड़ा गुमान था कि नीले रंगों की विशाल दुनिया में कोई तो उदासी का रंग मिलेगा, मगर समंदर की खिलखिलाती नीली लहरें मुझे फेन से भरी जीभ दिखा कर भाग गयी. मैं उसकी इस शरारत पर मुस्कराकर वहां से बढ़ चला. यात्रा को बढ़ते चलना था, बढ़ते रहे हम औ

Meri Triveniyan-2

Triveni- 2nd season **प्यार कभी मुहताज नही मैं शाहजहाँ नहीं और तू मुमताज नही अपने प्रेम की निशानी कोई ताज नही दिल कहता है-प्यार कभी मुहताज नही. 15 Febuary 2010  ** तेरा जूड़ा किनारे की दो पतली चोटियाँ जैसे हो यमुना और सरस्वती और बीच की चौड़ी चोटी जैसे हो चौड़ा पाट गंगा का.   मेरे लिए तो तेरा जूड़ा किसी त्रिवेणी से कम नही.   19 Febuary 2010       ** दिल तो पत्थर नही था दिल तो पत्थर नही था फिर भी तराशा था इसे दिल हीरे-सा हो उठेगा ये आशा थी मुझे, मगर दिल ने कई दिनों से धड़कना छोड़ दिया है.   20 Febuary 2010       ** मुखौटा . एक मुखौटा लगा के यहाँ आये हो तुम खुबसूरत है दिल तुम्हार मगर परदे में है. और मैं हूँ की कोई राज सह सकता नही.   20 Febuary 2010       ** शायर सभी निराले होते हैं इस दुनिया के शायर सभी निराले होते हैं दुनिया में हँसते रहते हैं घर में रोते हैं. बीबी झाड़ू लिए मरम्मत उनकी करती है. 20 Febuary 2010 ** 99 के फेर में सैकड़ों का इंतजार तो सबको होता है 99 के फेर में चाहे सचिन पड़े या कोई और,रोता है.