तीन त्रिवेणियाँ
१
तेरी नजरों की छुअन
तुम जिन निगाहों से देखती हो मुझे
यूँ तो मैं लोहा हूँ मगर,
सोना बना देती है मुझे,तेरी नजरों की छुअन.
२२-५-२०१०
२.
इश्क में सीखा है हमने
इश्क में सीखा है हमने फैलना आकाश-सा
सूखी जमीं पे फैलती जाती सी नन्ही घास-सा.
जो समेत डाले खुद में, उस प्यार से दूरी भली.
९-७-२०१०
३.
मजबूरियां
हौसलों को हार, ना स्वीकार है
रौशनी को अंधेरों से कब प्यार है
मगर, सबके साथ हैं कुछ मजबूरियां चस्पां.
२९-३-२०११
तेरी नजरों की छुअन
तुम जिन निगाहों से देखती हो मुझे
यूँ तो मैं लोहा हूँ मगर,
सोना बना देती है मुझे,तेरी नजरों की छुअन.
२२-५-२०१०
२.
इश्क में सीखा है हमने
इश्क में सीखा है हमने फैलना आकाश-सा
सूखी जमीं पे फैलती जाती सी नन्ही घास-सा.
जो समेत डाले खुद में, उस प्यार से दूरी भली.
९-७-२०१०
३.
मजबूरियां
हौसलों को हार, ना स्वीकार है
रौशनी को अंधेरों से कब प्यार है
मगर, सबके साथ हैं कुछ मजबूरियां चस्पां.
२९-३-२०११
टिप्पणियाँ
रौशनी को अंधेरों से कब प्यार है waah