कब तक कोख में मारी जाएँगी बेटियाँ
आमिर खान के टीवी सीरियल सत्यमेव जयते ने वाकई अपने पहले ही एपिसोड से जनमानस में हलचल मचाना शुरू कर दिया है. भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे को काफी संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ समाज के सामने लाकर वो समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं. हलचल बता रही है कि समाज को भी अपने चेहरे पर इतना बड़ा दाग-धब्बा पसंद नहीं आ रहा है और इस प्रोग्राम के बाद प्रशासन और जनता में काफी जागरूकता भी आयी है. राजस्थान में स्टिंग ऑपरेशन के द्वारा भ्रूण हत्या में डॉक्टरों की भूमिका को उजागर करनेवाले पत्रकारों की कहानी देखकर लगा कि वाकई समाज को बदलने की जद्दोजहद में लगे लोगों को कम ठोकरें नहीं कहानी पड़ती. मगर संतोष इस बात का है कि देर से ही सही बदलाव आने की शुरुआत हो रही है. कन्या भ्रूण हत्या में सबसे विवश होती है वह माँ जिसे उसकी ही बेटी को मारने में हामी भरने को मजबूर कर दिया जाता है. जरुरत है कि वो इतनी मजबूत बन सके कि अपने बेटी को मारने की साजिश में लगे घर, परिवार और समाज के सामने बुलंदी से अपनी बेटी की ढाल बन कर खड़ी हो सके. वर्ष २००४ की फरवरी में इसी मुद्दे पर एक कविता लिखी थी जिसमे एक कन्या भ्रूण अपनी माँ