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प्रेम पंखुरियां

प्रेम नही होता जग में तो कितना अच्छा होता | ऐसे ही बिन बात के ना कोई  हँसता, ना कोई  रोता || प्रेम किये दुःख होत है, यह जानत हर कोय | फिर भी प्रेम के चंगुल से बांच सका ना कोय || प्रेम घृणा में, घृणा प्रेम में ऐसे आवृत्त है | प्रेम से घृणा,घृणा से प्रेम- एक ही वृत्त है || प्यार करना है सरल, मुश्किल निभाना है | प्रेम पथ में ना है मंजिल, ना ठिकाना है || प्रेम को जो ना जाने,वो हैं पीटे ढिंढोरा | प्रेम के पंडित अक्सर ही खामोश देखे हैं  || प्रेम पंथ है अति कठिन, नट की रस्सी जान  | एक चूक भी गर हुई, ना बच पाए प्राण || आभासी दुनिया के बाशिंदे क्या बूझेंगे प्यार | लाभ-हानि के गणित से परे, है प्रेम व्यवहार || प्रेम  भुला देता है सारी दुनियादारी | दुनियादारी को अक्सर प्रेम याद आता है ||

शम्मा जलती है...

शम्मा जलती है, धुवाँ  होता है | सामने मौत का कुआँ होता है | जिसमे परवाना पानी ढूंढें फिरता है | हश्र आँखों के आगे तिरता है | इश्क़ एक बेवकूफी है जो अक्सर समझदार लोग किया करते हैं |