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मन का टुकड़ा मनका बनाकर

मन का टुकड़ा मनका बनाकर मनबसिया का ध्यान करूं | प्रेम की राह बहुत ही जटिल है ; चल- चल कर आसान करूं | (१५ जुलाई २०१७, रात्रि  )

भागते भूत की लंगोटी

मन मोती-सा, हृदय कोयला, बुद्धि रह गयी थोथी | प्यार में भागते भूत को पकड़ा, हाथ न आयी लंगोटी | (१५ जुलाई २०१७, रात्रि )

प्रेम पंखुरियां

प्रेम नही होता जग में तो कितना अच्छा होता | ऐसे ही बिन बात के ना कोई  हँसता, ना कोई  रोता || प्रेम किये दुःख होत है, यह जानत हर कोय | फिर भी प्रेम के चंगुल से बांच सका ना कोय || प्रेम घृणा में, घृणा प्रेम में ऐसे आवृत्त है | प्रेम से घृणा,घृणा से प्रेम- एक ही वृत्त है || प्यार करना है सरल, मुश्किल निभाना है | प्रेम पथ में ना है मंजिल, ना ठिकाना है || प्रेम को जो ना जाने,वो हैं पीटे ढिंढोरा | प्रेम के पंडित अक्सर ही खामोश देखे हैं  || प्रेम पंथ है अति कठिन, नट की रस्सी जान  | एक चूक भी गर हुई, ना बच पाए प्राण || आभासी दुनिया के बाशिंदे क्या बूझेंगे प्यार | लाभ-हानि के गणित से परे, है प्रेम व्यवहार || प्रेम  भुला देता है सारी दुनियादारी | दुनियादारी को अक्सर प्रेम याद आता है ||

शम्मा जलती है...

शम्मा जलती है, धुवाँ  होता है | सामने मौत का कुआँ होता है | जिसमे परवाना पानी ढूंढें फिरता है | हश्र आँखों के आगे तिरता है | इश्क़ एक बेवकूफी है जो अक्सर समझदार लोग किया करते हैं |

नववर्ष 2017 की शुभकामनाएँ

बदल गया कैलेंडर और डायरियां बदली | इनके सिवा और क्या बदला, नहीं पता  || काश कि कुछ और भी बदल पाए || मसलन, चलो कुछ पेड़-पौधें लगायें , या किन्हीं बेसहारों का सहारा बने , मदद करें उनकी जो है उसके हक़दार, खुशबू बांटें, खुशियाँ बांटे, बांटे थोडा प्यार | दिल से क्षमा मांगे अगर दुखाये हो दिल- बातें करें उन अपनों से जो आपके फ़ोन का करते हैं बेसब्री से इंतजार | जिनसे अकारण घृणा की हो, उनपर लुटाये ढेर-सारा प्यार | कंधे पर लदे अपेक्षाओं के बोझ को करे हल्का जिनके काम न कर पाए, उनसे कर ले ईमानदारी भरी क्षमाप्रार्थना | नजरे न चुराए, सामने आये, मन मिलाये | खुदा नहीं इंसान हैं, गलतियां सकारे | माता-पिता-गुरुजनों पर लुटाये स्नेह , जैसा उनसे बचपन में मिला-अनमिला | भाई,बहन, दोस्तों से निभाए रिश्ते | बीवी-बच्चों को दे ढेर सारा प्यारा समय | अपनों पे खीजना, गुस्सा होना करें कम | नए साल में ज्यादा ना सोचे,ना ही करे चिंता | उपलब्धि पर गर्व ना करे, ना हो हार की कुंठा | नए साल में नाहीं पाले चाह किसी आकाशकुसुम की | जैसे हम हैं, उसी में सुधरें, बस ये हो उत्कंठा | जीवन सरल रहे,