मन का टुकड़ा मनका बनाकर
मन का टुकड़ा
मनका बनाकर
मनबसिया का ध्यान करूं |
प्रेम की राह बहुत ही जटिल है ;
चल- चल कर आसान करूं |
(१५ जुलाई २०१७, रात्रि )
मनका बनाकर
मनबसिया का ध्यान करूं |
प्रेम की राह बहुत ही जटिल है ;
चल- चल कर आसान करूं |
(१५ जुलाई २०१७, रात्रि )
टिप्पणियाँ
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उम्दा एवं गेय पंक्तियाँ !!!
:)
मनका बनाकर
मनबसिया का ध्यान करूं |
प्रेम की राह बहुत ही जटिल है ;
चल- चल कर आसान करूं |
वाह ! बहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने। इसके लिए आपका दिल से धन्यवाद। Visit Our Blog