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खुदा हाफिज़ दामिनी

दरिन्दे  भरे पड़े हैं दुनिया में  संभल के चलना माँओं -बहनों-बेटियों  खुदा हाफिज़. सरकार से ना रखो कोई उम्मीद  तो ही अच्छा. सरकार को वैसे भी कई जरूरी काम है. सरकार को इज़्ज़त से क्या, बस वोट चाहिए. न्याय की देवी की आंखों पे भी पट्टी है बँधी. और उसके यमदूतों से बचकर ही रहो, इसी में खुदा की रहमत है. हाँ अगर चिड़िया के खेत चुग जाने                      के बाद पछताने का और    वक्त और पैसा लुटाने का इरादा हो तो न्याय की दहलीज़ पे स्वागत है तुम्हारा.         पुलिस को देख् के झूठे dhandhas ना पालना मन में. वो तो होते हुए भी ना होने के बराबर है. आजकल तालियाँ बड़ी अच्छी वो बजाते हैं, और, नेताजी के जूते साफ करते पाये जाते हैं. प्रशासकों की तरफ़ भी उम्मीद से  मत देख बैठना बेचारे कितने सालों से रीढ़ की हड्डी तलाशे फिरते हैं. सन् पछत्तर में नसबंदी के बहाने  इनकी रीढ़ की हड्डी ही गायब कर दी, तबसे ये सिर्फ़ रेंगा करते हैं. अपने वज़ूद की हिफाज़त में ही पस्तेदम इन बेचारो से तुम्हारी हिफाज़त की उम्मीद नाउम्मीदी है. नेताओं