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सतगुर की महिमा अनॅंत

कबीरदास के दोहों में सच्चे गुरु की महिमा बड़े ही रोचक ढंग से और लोकजीवन से उदाहरण देते हुए कही गयी है| सच्चा गुरु मनुष्य को देवता के समान बनाने के प्रयास में लगा रहता है, अनंत ज्ञान को शिष्य को देने का प्रयास करता है | गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिल सकता | जब गोविन्द कृपा करते हैं तो गुरु की प्राप्ति  होती है  | अयोग्य गुरु  अयोग्य शिष्य एक दूसरे का उसी प्रकार नुकसान करते हैं जैसे अँधा मनुष्य दूसरे अंधे मनुष्य को रास्ता बतलाने के समय करता है | गुरु शिष्य के संशय का नाश करता है | गुरु के पारस स्पर्श से शिष्य लोहे से सोने में बदल जाता है|  भारतीय परंपरा में गुरु का जो आदर है, वह पाश्चात्य परंपरा के लिए आश्चर्य  की वस्तु है | यहाँ पर गुरु का दर्जा भगवान के बराबर माना गया है | गुरु-गोविन्द दोनों के सामने आने पर शिष्य का यह कर्त्तव्य है की वह पहले गुरु की वंदना करे जिसने उसे गोविन्द का ज्ञान दिया है | कृष्ण, बुद्ध, महावीर और गुरु नानक, इनके व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा गुरु के रूप में  लोगों के पथप्रदर्शन का है |   गुरु बिना ज्ञान न होई, यह कहावत लोकमन में यूँ ही नहीं बैठी है |   प्राचीन काल की गु