गाँधी और गोडसे
पूरे भारत में आज फिर ; आमने-सामने हैं गोडसे और गाँधी | गोडसे के अनेक चेहरे हैं, अनेक रूप हैं, अनेक अस्त्र-शस्त्र हैं ; गाँधी एक है, सदा एक, और संबल है उसका सत्य और अहिंसा | गाँधी वह सीना है, जो सत्य के लिए, गोडसे की तीन नहीं, अनगिन गोलियाँ खाने को सदा तैयार है | गोडसे आदमी में छिपी हैवानियत है, आदमी की पाशविकता और बर्बरता की की निशानी है | गाँधी वह देवता है, जो मरकर अमर होता है हमारे दिलों में ; जो हर जोर-जुल्म सहकर भी सत्य के पारस से हैवानों को इंसान बनाता है | हे भारत की जनता | वक़्त और मानवता का तकाज़ा है कि तुम ; अपने अंदर के गोडसे को निकाल फेंको अब गाँधी के पावन भारत को कलुषित करने के जुर्म में | पुनः प्रतिष्ठा करो अपने मन-मंदिर में , गाँधी की मूर्ति की ; सत्य,अहिंसा, और प्रेम की त्रिमूर्ति की |