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इश्क का फ़लसफा

इश्क में मंजिल आसान नही होती काश की तुम इससे अनजान नही होती। इश्क तो भूलभुलैयाँ है देह और मन की किधर है प्रेम,किधर वासना,पहचान नही होती। इश्क तो फूल है कमल का जिसकी आभा पंक में वासना के रहके भी म्लान नही होती। पंख होंगे वासना के, इश्क के तो पाँव होते हैं तुम भी ये जान लो की इश्क में उड़ान नहीं होती। इश्क तो बंदगी है, सादगी में पलता है इश्क सच्चा है वही जिसमे झूठी शान नही होती। शमा के इश्क में जलता हुआ परवाना सुनो कहता है इश्क में जान जो देती हैं, वो नादान नहीं होती। इश्क का फ़लसफा समझा तुमने गर होता जान जाती की यूँही बुलबुलें कुर्बान नहीं होतीं.

उदासी- सी- उदासी

* जिस उदासी की कोई वजह ढूंढे न मिले वो उदासी कितनी उदास होती है। *खुशियों के पीछे भागता रहा तमाम उम्र जब भी रुका देखा उदासी मेरे साथ थी। *आँसुओं के एक समंदर में लहरे गहरी उदासियों की अवसाद के तट पर सर पटक कर बार- बार लौटती मझधार में। *उदास सुबह ने कहा- उदास मत होना उदास शाम ने कहा - उदास मत होना उदास दुनिया ने कहा -उदास मत होना मैंने हलके से मुस्का के कहा सबसे- ओढी हुई खुशी से शालीन उदासी कहीं भली। *लोग मुझसे पूछते हैं मेरी उदासी का सबब मैं जरा मुस्कुरा के कहता हूँ-'कहाँ उदास हूँ मैं- वो तो बस यूँ ही तबियत जरा नासाज सी है। लोग सुनकर बड़ी अदा से सर डुलाते हैं, मुझे लगता हैं मेरे चेहरे से मेरा राज भांप जाते हैं। *तेरी चमकती उदास आँखें, तू हंसेगा तो रो देंगी, तेरे आंसुओं से धुलकर तेरा चेहरा खिल उठेगा.