हाथी तो हाथी होता है

 हाथी तो हाथी होता है ।

जंगल का साथी होता है ।


हरदम उसकी मटरगशतियां,
कभी खेत में, कभी बस्तियां;
कभी नदी के बैठ किनारे,
देखा करता है वो कश्तियां ।

कभी हिरण के संग कुलांचें,
कभी तितलियों के संग नाचे ।
कभी तोते के संग बैठकर,
जंगल का भविष्य वो बांचे ।

कभी नदी में छपाक -छप -छप,
कभी धूल में धपाक -धप -धप ;
कभी सूंड में पानी भरकर,
उड़ा रहा फव्वारे फर -फर ।

सुंदर दांतों पर अपने,
हाथी है हरदम इतराता;
खाने के है दांत और ही,
राज की बात वो सबसे छुपाता ।

केला, गन्ना खाता हाथी,
आम देख ललचाता हाथी;
कटहल का जो पेड़ दिख गया,
सारे चट कर जाता हाथी ।

बचे रहेंगे हाथी तो,
बचे रहेंगे जंगल भी;
बचे रहेंगे जंगल तो,
होगा सबका मंगल भी ।

हाथी तो हाथी होता है ।
जंगल का साथी होता है ।

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