नववर्ष 2017 की शुभकामनाएँ

बदल गया कैलेंडर और डायरियां बदली |
इनके सिवा और क्या बदला, नहीं पता  ||


काश कि कुछ और भी बदल पाए ||
मसलन, चलो कुछ पेड़-पौधें लगायें ,
या किन्हीं बेसहारों का सहारा बने ,
मदद करें उनकी जो है उसके हक़दार,
खुशबू बांटें, खुशियाँ बांटे, बांटे थोडा प्यार |


दिल से क्षमा मांगे अगर दुखाये हो दिल-
बातें करें उन अपनों से जो
आपके फ़ोन का करते हैं बेसब्री से इंतजार |
जिनसे अकारण घृणा की हो,
उनपर लुटाये ढेर-सारा प्यार |


कंधे पर लदे अपेक्षाओं के बोझ को करे हल्का
जिनके काम न कर पाए, उनसे कर ले
ईमानदारी भरी क्षमाप्रार्थना |
नजरे न चुराए, सामने आये, मन मिलाये |
खुदा नहीं इंसान हैं, गलतियां सकारे |


माता-पिता-गुरुजनों पर लुटाये स्नेह ,
जैसा उनसे बचपन में मिला-अनमिला |
भाई,बहन, दोस्तों से निभाए रिश्ते |
बीवी-बच्चों को दे ढेर सारा प्यारा समय |
अपनों पे खीजना, गुस्सा होना करें कम |


नए साल में ज्यादा ना सोचे,ना ही करे चिंता |
उपलब्धि पर गर्व ना करे, ना हो हार की कुंठा |
नए साल में नाहीं पाले चाह किसी आकाशकुसुम की |
जैसे हम हैं, उसी में सुधरें, बस ये हो उत्कंठा |
जीवन सरल रहे, जटिल की ना हो कोई आकांक्षा |



सुगम, सहज, स्वस्थ, सस्नेह, सहर्ष जीवन की
आप सबों को मेरी शुभ-मंगलकामनाएं ||




टिप्पणियाँ

कविता रावत ने कहा…
नए साल पर सार्थक रचना

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं!

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