कवि की कामना

यदि दो-चार जिंदगियों में भी
खुशियों के उजाले ला सकूं
तो वह कविता मे सब लोगों
की जिंदगी मे उजाला लाने की
कामना से बेहतर होगा
क्योंकि
जीवन से कटी कविता
और डोर से कटी पतंग
आखिर किस काम के ?

०६-०९-२००७
११:५० पूर्वाह्न

टिप्पणियाँ

Rewa Smriti ने कहा…
wah bahut khub....kavi ki baat hi nirali hoti hai!

All the best!

rgds.
बेवफ़ा ने कहा…
शुरुआत बहुत अच्छी है. पर ऐसा कैसे कि 'साहित्यकार' ने सिर्फ़ एक ही कविता लिखी है? उम्मीद करता हूँ जल्दी ही बाकी कविताएं भी post करोगे.

- प्रवीण

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बादलों के घेरे में

"एक शेर अपना, एक पराया" में दुष्यंत कुमार के शेरों का काफिला

आत्ममुग्धता