आत्ममुग्धता


आत्ममुग्धता दबे पाँव आखेट करती है |

बड़े- बड़े आखेटक, चूर अपनी कीर्ति गाथाओं में,

अनभिज्ञ इस बात से कि ;

उनका भी हो सकता है आखेट,
बन जाते हैं आखेट आत्ममुग्धता का |
जारी रखते हैं वो आखेट औरों का, अपना हाल अनजाने |

आत्ममुग्धता फंदे बिछाती है चुपचाप |

अहं के नुकीले बरछों से भरे गड्ढ़े ,
अति यशाकांक्षा के पांवों के फंदे,
अतिशय भोग-विलास के पिंजरे,
सर्वज्ञता की गले की फांस,
इनसे बचना विरले ही होता है संभव |

आत्ममुग्धता नहीं सजाती अपने शिकार की ट्रॉफी |

मगर शिकार के चेहरे, बोली, हाव-भाव,
बर्ताव से झलकता है उसका शिकार होना;
अंधेर नगरी के मायालोक में रहता है,
आत्ममुग्ध चौपट राजा ,
रेबड़ी बांटता है अपने में और पूछता है परायों से स्वाद |

आत्ममुग्ध लोगों से आतंकित रहती है दुनिया |

इतिहास गवाह है- आत्ममुग्ध लोगों ने
सबसे ज्यादा की है मानवता की क्षति;
कभी इतिहास बदलने के नाम पर, तो कभी
धर्म, देश, प्रकृति और मानवता को बचाने के नाम पर;
जबकि जरुरी था उनका अपनेआप को आत्ममुग्धता से बचाना |

टिप्पणियाँ

Nitish Tiwary ने कहा…
बहुत सुंदर रचना।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
Daman Ahuja ने कहा…
सुंदर भाव हैं, आत्ममुग्धता मेंं ।
ध्यान की प्रक्रिया इसके प्रति सजग कर देती है।
ध्यान करें एवम अपने को ब्रह्मांड का एक अणु महसूस करें।

मन
Zee Talwara ने कहा…
सुंदर भाव हैं, आत्ममुग्धता मेंं ।
Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो
rakesh ने कहा…
हमेशा की तरह बहुत बढ़िया, बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बादलों के घेरे में

"एक शेर अपना, एक पराया" में दुष्यंत कुमार के शेरों का काफिला