मेरे ऑरकुट प्रोफाइल की शीर्ष पंक्तियाँ
***
लापता मेरी आँख का आंसू
तेरी आँखों में मैंने जब देखा
होठों में कैद कर लिया,
फिर गुमने ना दिया.
(दिसम्बर २००९)
***
सागर जैसी गहरी आँखों में नीली उदासी रहती है जो
आंसू की लहरों में ढलके गालों के तट पर बहती है.
(15 नवम्बर 2009)
***
वक़्त की शाख से कुछ फूल हमने तोड़े थे
तेरे जुड़े में लगाने को....
मगर कभी तुम ने वक़्त न दिया..
कभी वक़्त ने बेरहमी की.
(नवम्बर 2009 )
***
मिटटी के दीयों से नही जायेगा अँधेरा
दिल का दिया जला सको तो रौशन रात हो.
(17 अक्टूबर 2009 )
***
सारी दुनिया की सुधि पाई, पर मेरे भाई!
क्या सीखा गर प्रेम की पीड़ा समझ न आयी?
(25 सितम्बर 2009 )
***
खुशियाँ लुटाता रहा, खुशियाँ मैं पाता रहा
खुशियाँ बटोरने में लग गया मैं जब से
खुशियाँ मुझसे भागती फिर रही है तब से.
(05 जुलाई 2009 )
***
छलकी हुई आँखों को तेरे होठों ने जब छू लिया
वे आंसू, आंसू न रहे, मोती बने, लुढ़क पड़े.
(०१ मार्च २००९)
***
अपने हाथों से बनाया है मुकद्दर अपना
अपने ही हाथों मिटा डालू तो मलाल नहीं.
(17 मई 2009 )
***
जिन्दगी जब कभी आसान हुई
मैंने कुछ मुश्किलें उधार ली.
(२२ फरवरी 2009 )
***
जिन्दगी इक अंतहीन तलाश है
तृप्ति चुल्लू-भर, समंदर प्यास है.
***
गुम गया हूँ आजकल यारों मैं कुछ इस कदर
की दिल से पूछा हूँ कहाँ, उसने कहा-पता नही?
(15 नवम्बर 2009)
लापता मेरी आँख का आंसू
तेरी आँखों में मैंने जब देखा
होठों में कैद कर लिया,
फिर गुमने ना दिया.
(दिसम्बर २००९)
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सागर जैसी गहरी आँखों में नीली उदासी रहती है जो
आंसू की लहरों में ढलके गालों के तट पर बहती है.
(15 नवम्बर 2009)
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वक़्त की शाख से कुछ फूल हमने तोड़े थे
तेरे जुड़े में लगाने को....
मगर कभी तुम ने वक़्त न दिया..
कभी वक़्त ने बेरहमी की.
(नवम्बर 2009 )
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मिटटी के दीयों से नही जायेगा अँधेरा
दिल का दिया जला सको तो रौशन रात हो.
(17 अक्टूबर 2009 )
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सारी दुनिया की सुधि पाई, पर मेरे भाई!
क्या सीखा गर प्रेम की पीड़ा समझ न आयी?
(25 सितम्बर 2009 )
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खुशियाँ लुटाता रहा, खुशियाँ मैं पाता रहा
खुशियाँ बटोरने में लग गया मैं जब से
खुशियाँ मुझसे भागती फिर रही है तब से.
(05 जुलाई 2009 )
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छलकी हुई आँखों को तेरे होठों ने जब छू लिया
वे आंसू, आंसू न रहे, मोती बने, लुढ़क पड़े.
(०१ मार्च २००९)
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अपने हाथों से बनाया है मुकद्दर अपना
अपने ही हाथों मिटा डालू तो मलाल नहीं.
(17 मई 2009 )
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जिन्दगी जब कभी आसान हुई
मैंने कुछ मुश्किलें उधार ली.
(२२ फरवरी 2009 )
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जिन्दगी इक अंतहीन तलाश है
तृप्ति चुल्लू-भर, समंदर प्यास है.
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गुम गया हूँ आजकल यारों मैं कुछ इस कदर
की दिल से पूछा हूँ कहाँ, उसने कहा-पता नही?
(15 नवम्बर 2009)
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