ऐसा करे राम ना
वैसा ही है समंदर को शब्दों
में बांधना |
जैसा कि है लहरों को हाथों
में थामना ||
हाथों में हरदम हाथ तेरा
बना रहे |
इसके सिवा मन में नहीं और
कोई कामना ||
ख्याल से ही यार के मन
सिहर-सिहर उठता है|
क्या होगा रब जाने, जब होगा
सामना ||
मीलों तनहा रस्ते चल, यार
की मंजिल मिली |
यार से जुदाई हो कभी, ऐसा
करे राम ना ||
टिप्पणियाँ
कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .