संदेश

जिन्दगी, तेरी कमी खलती है

जिंदगी अपनी राह चलती है । तमन्नाएं  यूं ही बस मचलती है ॥  आस से प्यास कभी बुझती नहीं ।  उम्रभर मृगमरीचिकाएं  छलती हैं ॥  दौर ऐसे बहोत आते हैं जहाँ ।  जिंदगी, तेरी कमी खलती है ॥  काश ऐसा अगर हुआ होता ।  सोचकर, हसरतें हाथ मलती  हैं ॥  बस में जो है, कसर नहीं रक्खी ।  क्या करे गर, होनी टाले नहीं टलती है ॥  लाख कोशिश से भी जहां दाल नहीं गलती है ।  वहां भी उम्मीद की एक लौ जरूर जलती है ॥  खुदा धरती का हाल देख सोच पड़े ।  क्या इंसान बनाना बड़ी गलती है ॥  देर हो सकती है, अंधेर नहीं  ।  दुआएं सच्चे दिल की जरूर फलती हैं ॥  पाखी घर लौट रहे, चलो 'केशव' ।  कि सुरमई स्याह शाम ढ़लती है ॥ 

दिल्ली - धुंध है, धुंआ है, लाचारी है

धुंआ है, धुंध है, लाचारी है | मार कुदरत की सब पे भारी है || कोसने से पहले सोचे, हमने क्या किया अब तक | एक पौधा भी लगाया, या की बस बातें की || कहते रहे धरती को बचाना है | और प्लास्टिक की पत्तलों में खाना है || नदियों को माँ कह के बस पूजते रहे | या जिन्होंने गन्दगी फैलाई ,उन्हें रोका भी || जैसा चल रहा, चलता रहा अगर वैसा ही | पानी बोतल में, हवा सिलिंडर में भर के बेचेंगे || बची रही नहीं अगर धरती हरी -भरी | तो हम भी बचेंगे म्यूजियम में ही कहीं || शुद्ध हवा हमको अगर पाना है | आज ही एक पेड़ चलो चलके लगाना है || ऐसी कैसी धरती छोड़ के हम जायेंगे | शस्य श्यामल नहीं जो कालिम हो || ऐसा आकाश देंगे बच्चों को | नीलिमा जिसकी कालिख वाली हो? ऐसी नदिया कैसे छोड़ के हम जायेंगे | जिसमे मछली भी जिन्दा नहीं है रह पाती || ये धरती हमारी नहीं, भविष्य की थाती है | आओं, इसे हरी-भरी और खुशनुमा रखे || तितलियों, चिड़ियों, फूलों- फलों, वन्य प्राणियों से भरा-पूरा रक्खे || सिर्फ कैंडल नहीं जलाएं हम | उससे भी सिर्फ धुआं फैलेगा || सिर्फ ना...

त्रिवेणी - स्याह समय में

कलम आजकल बंद पड़ी है, कागज़ कोरे कोरे हैं  | स्याह समय में, आशा के उजले  कण थोड़े थोड़े हैं | स्याही आजकल कागज नहीं, चेहरे काले करती है ||

वायनाड (केरल) से एक दिन का लेखा-जोखा

केरल राज्य में एक बड़ी ही प्यारी सी जगह है वायनाड | कैलिकट, ऊटी, मैसूर और कुर्ग जैसी घूमने में प्यारी जगहों के पास है यह जिला | प्रकृति ने इसे सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है | चाय और कॉफ़ी के बगान तो कहीं नारियल और सुपारी के पेड़, छोटी-छोटी सुन्दर पहाड़ियां, हाथी,बाघ,हिरण, चिड़ियों और तितलियों से भरे घने जंगल,  हंसती-गाती नदियाँ और खिलखिलाते झरने | पश्चिम घाट की गोद में बसे इस हिल स्टेशन की शोभा ही निराली है | लाखों देसी-विदेशी सैलानियों के मन को हरने वाली है यह जगह | लेकिन इस जगह का एक सच और भी है | केरल राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासी जनसंख्या वाला जिला है वायनाड | कुरिचिया, कुरमा, पणीया, अडिया, काट्टूनाइकर, उराली जैसी आदिवासी जातियां यहाँ बस्ती है | इनमे  पणीया, अडिया, काट्टूनाइकर आदिवासी जातियों की अवस्था काफी सोचनीय है | अपनी जमीन से विस्थापित, मजदूरी कर जीने को मजबूर, शराब और नशे के हाथों अपनी जिन्दगी दांव पर लगाते ये लोग वाकई में समय की तेज चाल में अपने को लाचार महसूस कर रहे हैं | वायनाड में पिछले साल जिला कलक्टर बन कर आने के बाद इन आदिवासियों की दशा को जानने के...

त्रिवेणी - जख्म और पेड़

जख्म और पेड़ हरे ही अच्छे | सूख जाने पे मर जाते हैं दोनों || सींचते रहिये इन्हें आंसू और पानी से | --केशव--

नरेंद्र दाभोलकर के प्रति

एक नरेंद्र सुदूर अतीत में हुए थे | एक नरेंद्र तुम थे; एक नरेंद्र कोई और है | एक नरेंद्र ने हिन्दू धर्म-समाज  को उसकी जड़ निद्रा से जगाया, देशवासियों को उनका खोया आत्मविश्वास लौटाया शंखनाद किया ‘जागो फिर एक बार’ का ; एक नरेंद्र तुम थे जो धर्म के नाम पर अपनी बाजार चलाते बाबाओं की पोल खोलते रहे, हर ढोंगी बाबा को तर्क और विज्ञान के तराजू पर तोलते रहे, अंधविश्वासों के खिलाफ चीख-चीख कर बोलते रहे | एक और नरेंद्र पता नहीं क्या कर रहा है | एक नरेंद्र ने नर की सेवा को नारायण सेवा समझा धर्म का मर्म दीन-दुखियों की सेवा बताया अपने गुरु के सर्वधर्म सद्भाव के सन्देश को  जन-जन तक पहुचाया | देश के मस्तक को गौरवान्वित किया विश्व के आगे | और फिर, अपने कर्तव्यों का पालन कर महासमाधि में लीन हुए  | तुमको कुछ गुंडों ने गोलियों से छलनी कर दिया गुंडे जो भेजे गए थे उन धर्म के ठेकेदारों द्वारा जिनका बाजार मंदा पड़ता था तुम्हारी वजह से ; जो कांपते थे की अगर तुम अंधविश्वास विरोधी कानून बनवाने के अपने मिशन में कामयाब हो गये त...

हिंदी दिवस को मनाये भारतीय भाषा दिवस के रूप में

हिंदी दिवस और हिंदी पखवाड़ों के आयोजन की औपचारिकता सारे देश में जारी है | इन औपचारिकताओं से हिंदी का कितना भला होने वाला है , यह तो इतने सालों में भी जनता की समझ में नहीं आया | राजभाषा दिवस , राजभाषा विभाग , राजभाषा आयोग- इन सारे सफ़ेद हाथियों ने हिंदी को उसकी अन्य भारतीय बहन भाषाओं से दूर ला कर खड़ा कर दिया |  मेरी नजर में हिंदी भाषा अपनी सारी भारतीय बहन भाषाओं के साथ एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है | तकनीकी क्रांति के इस युग में एक संभावना तो यह है की ये सारी भाषाएँ शिक्षा और रोजगार की भाषा बन कर उभरे | वहीं एक संभावना यह है की अंग्रेजी का प्रभुत्त्व हिंदी के साथ-साथ सारी भारतीय भाषाओं को हाशिये पर धकेल दे | अंग्रेजी जिस तरह से शिक्षा और रोजगार की भाषा के रूप में भारतीय भाषाओं को विस्थापित कर रही है , उसे देखते हुए ऐसी आशंका होना लाजमी भी है |   भाषा की राजनीति को परे रख जिस एक कदम से हम हिंदी के साथ-साथ सारी भारतीय भाषाओं को फलने-फूलने में और राष्ट्रीय एकता फ़ैलाने में मदद दे सकते हैं वो है पूरे भारत में भाषा के पठन-पाठन की त्रिभाषा प्रद्धति को लागू करना | मातृभा...