भारत बनाम इंडिया

संविधान कहता है हमारे देश को

इंडिया that is भारत

पर हम उस भारत के बाशिंदे हैं

जो इंडिया नहीं.




इंडिया और भारत के बीच की खाई

बहुत लम्बी है, चौडी है, बहुत गहरी है;

पर कौन सुने-

सरकार तो सरकार, जनता तक बहरी है.




भारत भूख से रोता है, ठण्ड से मरता है,

भारत डाल फंदा गले में आत्महत्या करता है;

भारत काम की तलाश में फिरता है मारा-मारा,

भारत हर तरफ से दुरदुराया जाता है बेचारा.




भारत गांवों में, स्लमों में बसता है,

भारत जहाँ भी हो, उसकी हालत खस्ता है;

इंडिया उसे देख नाक-भौं सिकोड़ता है,

घृणा से थूक उसपे, मुंह अपना मोड़ता है.




इंडिया की भाषा अंग्रेजी है, कल्चर विदेशी है,

इंडियन यहाँ का नही, अमरीका का देशी है;

इंडिया का पेट भरा है, पर उसकी भूख बड़ी है,

वहीँ भारत को हर वक़्त दो जून की रोटी की पड़ी है.




भारत इंडिया में खुद को अजनबी पाता है,

इंडिया का भारत से बस शोषक-शोषित का नाता है;

भारत का यह जीवट है की भारत अब तक जिन्दा है,

पर, अब भारत अपने भारत होने पर शर्मिंदा है.

टिप्पणियाँ

Randhir Singh Suman ने कहा…
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
KESHVENDRA IAS ने कहा…
आपको भी दीपावली और आनेवाले छठ पूजा की ढेर सारी शुभकामनाएँ.

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