समंदर का गीत

समंदर आज भी वही गीत गाता है
जो उसने पहली बार गाया था
जब वो अस्तित्व में बस आया था |

समंदर की रेत के हर कण
और समंदर का हर जड़ -चेतन
मिलेंगे तुम्हें उसी आदिम गीत में मगन |

फिर इसमें अचरज क्यूँ हो कि
समंदर जब भी लहरों के सुर में गाता है
हर सुनने वाला गीतमुग्ध रह जाता है |

२१-७-२०११

टिप्पणियाँ

smita ने कहा…
beautifull. <3
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई और शुभकामनाएं
Rajeysha ने कहा…
बस आदमी ही अपनी असलियत भूल जाता है
इसे चिराग क्यों कहते हो?

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