नशा शराब का ज्यादा है या कि साकी का
नशा शराब का ज्यादा है या कि साकी का !
छुपी कशिश का असर ज्यादा या बेबाकी का !!
बहुत सी ठोकरें खायी, मगर अभी तक भी !
दिल-ए-नादाँ ने सीखा सबक ना चालाकी का !!
पूस की रात कितनी आयी-गयी मगर हल्कू !
समझ ना पाया अब तक हिसाब बाकी का !!
देवता और शैतान दोनों का ही ये पहनावा है !
समझ में आता नहीं कैरक्टर यारों खाकी का !!
समय के साथ दिल की दुनिया बदल गयी कितनी !
गया बचपन के साथ शौक ताजिये की झांकी का !!
अपनी ऐय्याशियों के बीच जरा देखो इधर !
कितने लोगों के लिए जिन्दगी मायने है फाकी का !!
छुपी कशिश का असर ज्यादा या बेबाकी का !!
बहुत सी ठोकरें खायी, मगर अभी तक भी !
दिल-ए-नादाँ ने सीखा सबक ना चालाकी का !!
पूस की रात कितनी आयी-गयी मगर हल्कू !
समझ ना पाया अब तक हिसाब बाकी का !!
देवता और शैतान दोनों का ही ये पहनावा है !
समझ में आता नहीं कैरक्टर यारों खाकी का !!
समय के साथ दिल की दुनिया बदल गयी कितनी !
गया बचपन के साथ शौक ताजिये की झांकी का !!
अपनी ऐय्याशियों के बीच जरा देखो इधर !
कितने लोगों के लिए जिन्दगी मायने है फाकी का !!
टिप्पणियाँ
दिल-ए-नादाँ ने सीखा सबक ना चालाकी का !!
wah bhavawyakti ki aachi panktiyan..
aasha hai aage bhi milti rahengi..
badhaiyan...
Chauhan sir, Bahut-Bahut shukriya. Aap ki hausla-afjai se likhne ka utsah duna ho jata hai.