प्रेम पंखुरियां
प्रेम नही होता जग में तो कितना अच्छा होता |
ऐसे ही बिन बात के ना कोई हँसता, ना कोई रोता ||
प्रेम किये दुःख होत है, यह जानत हर कोय |
फिर भी प्रेम के चंगुल से बांच सका ना कोय ||
प्रेम घृणा में, घृणा प्रेम में ऐसे आवृत्त है |
प्रेम से घृणा,घृणा से प्रेम- एक ही वृत्त है ||
प्यार करना है सरल, मुश्किल निभाना है |
प्रेम पथ में ना है मंजिल, ना ठिकाना है ||
प्रेम को जो ना जाने,वो हैं पीटे ढिंढोरा |
प्रेम के पंडित अक्सर ही खामोश देखे हैं ||
प्रेम पंथ है अति कठिन, नट की रस्सी जान |
एक चूक भी गर हुई, ना बच पाए प्राण ||
आभासी दुनिया के बाशिंदे क्या बूझेंगे प्यार |
लाभ-हानि के गणित से परे, है प्रेम व्यवहार ||
प्रेम भुला देता है सारी दुनियादारी |
दुनियादारी को अक्सर प्रेम याद आता है ||
ऐसे ही बिन बात के ना कोई हँसता, ना कोई रोता ||
प्रेम किये दुःख होत है, यह जानत हर कोय |
फिर भी प्रेम के चंगुल से बांच सका ना कोय ||
प्रेम घृणा में, घृणा प्रेम में ऐसे आवृत्त है |
प्रेम से घृणा,घृणा से प्रेम- एक ही वृत्त है ||
प्यार करना है सरल, मुश्किल निभाना है |
प्रेम पथ में ना है मंजिल, ना ठिकाना है ||
प्रेम को जो ना जाने,वो हैं पीटे ढिंढोरा |
प्रेम के पंडित अक्सर ही खामोश देखे हैं ||
प्रेम पंथ है अति कठिन, नट की रस्सी जान |
एक चूक भी गर हुई, ना बच पाए प्राण ||
आभासी दुनिया के बाशिंदे क्या बूझेंगे प्यार |
लाभ-हानि के गणित से परे, है प्रेम व्यवहार ||
प्रेम भुला देता है सारी दुनियादारी |
दुनियादारी को अक्सर प्रेम याद आता है ||
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