त्रिवेणी--3
साथियों, त्रिवेणी की तीसरी कड़ी आप लोगों की सेवा में हाजिर है. आशा है की आप सबों को पसंद आएगी.
@प्रेम में टूट कर भी
प्रेम में टूट कर भी
प्रेम को टूटने नहीं देते.
टूट कर प्रेम किया करने वाले.
@विज्ञापन की दुनिया में
मम्मी की कहना मत सुनना
करना वही जो कहे टमी
विज्ञापन की दुनिया में रिश्ते सारे बने डमी.
@एक त्रिवेणी के दो चेहरे
1.
उसके चेहरे की उदासी मेरी आँखों ने पढ़ी
और मेरे चेहरे की उदासी भांप ली उसने,
और उस बच्ची के साथ मैं भी हंस पड़ा हौले-से.
2.
उसके चेहरे की उदासी मेरी आँखों ने पढ़ी
और मेरे चेहरे की उदासी भांप ली उसने,
हँस के अपनी उदासियाँ साझा कर ली हमने.
@आँखें खुली हों
तुम जो कहते हो मेरे हमसफ़र बनोगे तुम
तुमको क्या खबर कि किस राह मैं चलूँगा?
चाहत पे भरोसा करो पर आँखें खुली हों.
@ मेरी मज़बूरी भी, मजबूती भी
तुम्हारी पीड़ा से छलकी रहती है आँखें मेरी
दिल भरा सा रहता है, होंठों पे दुआ होती है
क्या कहूं, तुम मेरी मज़बूरी भी हो, मजबूती भी.
@ जिन्दगी से जी अभी भरा नही
रातें कितनी गुजारी जाग-जाग कर
और दिन गुजारे हैं भाग-भाग कर
फिर भी कमबख्त जिन्दगी से जी अभी भरा नही.
@ कृष्ण बेचारे दुविधा के मारे तन्हा-तन्हा रहते हैं
1.
एक और राधा के आंसू बहते हैं कुछ कहते नही
दूसरी और रुक्मिणी हरदम अपना हक़ जतलाती है.
कृष्ण बेचारे सोच रहे हैं जाए तो जाए किधर?
2.
एक और राधा के आंसू बहते हैं कुछ कहते नही
दूसरी और रुक्मिणी हरदम अपना हक़ जतलाती है.
कृष्ण बेचारे दुविधा के मारे तन्हा-तन्हा रहते हैं.
@ अंजाम
जिन्दगी सुलझाई है जब भी उलझनें हैं बढ़ गयी.
रिश्तों की हर डोर में अनबोली गांठें पड़ गयी.
अच्छा करने गए थे अंजाम देखो क्या निकला.
@ मेरी जुबां
ना तो शुद्ध हिंदी से लगाव है,
ना तो खालिस उर्दू का चाव है,
वो तो ठेठ हिन्दुस्तानी है जिसमें कहता हूँ अपनी बात मैं.
------केशवेन्द्र------
@प्रेम में टूट कर भी
प्रेम में टूट कर भी
प्रेम को टूटने नहीं देते.
टूट कर प्रेम किया करने वाले.
@विज्ञापन की दुनिया में
मम्मी की कहना मत सुनना
करना वही जो कहे टमी
विज्ञापन की दुनिया में रिश्ते सारे बने डमी.
@एक त्रिवेणी के दो चेहरे
1.
उसके चेहरे की उदासी मेरी आँखों ने पढ़ी
और मेरे चेहरे की उदासी भांप ली उसने,
और उस बच्ची के साथ मैं भी हंस पड़ा हौले-से.
2.
उसके चेहरे की उदासी मेरी आँखों ने पढ़ी
और मेरे चेहरे की उदासी भांप ली उसने,
हँस के अपनी उदासियाँ साझा कर ली हमने.
@आँखें खुली हों
तुम जो कहते हो मेरे हमसफ़र बनोगे तुम
तुमको क्या खबर कि किस राह मैं चलूँगा?
चाहत पे भरोसा करो पर आँखें खुली हों.
@ मेरी मज़बूरी भी, मजबूती भी
तुम्हारी पीड़ा से छलकी रहती है आँखें मेरी
दिल भरा सा रहता है, होंठों पे दुआ होती है
क्या कहूं, तुम मेरी मज़बूरी भी हो, मजबूती भी.
@ जिन्दगी से जी अभी भरा नही
रातें कितनी गुजारी जाग-जाग कर
और दिन गुजारे हैं भाग-भाग कर
फिर भी कमबख्त जिन्दगी से जी अभी भरा नही.
@ कृष्ण बेचारे दुविधा के मारे तन्हा-तन्हा रहते हैं
1.
एक और राधा के आंसू बहते हैं कुछ कहते नही
दूसरी और रुक्मिणी हरदम अपना हक़ जतलाती है.
कृष्ण बेचारे सोच रहे हैं जाए तो जाए किधर?
2.
एक और राधा के आंसू बहते हैं कुछ कहते नही
दूसरी और रुक्मिणी हरदम अपना हक़ जतलाती है.
कृष्ण बेचारे दुविधा के मारे तन्हा-तन्हा रहते हैं.
@ अंजाम
जिन्दगी सुलझाई है जब भी उलझनें हैं बढ़ गयी.
रिश्तों की हर डोर में अनबोली गांठें पड़ गयी.
अच्छा करने गए थे अंजाम देखो क्या निकला.
@ मेरी जुबां
ना तो शुद्ध हिंदी से लगाव है,
ना तो खालिस उर्दू का चाव है,
वो तो ठेठ हिन्दुस्तानी है जिसमें कहता हूँ अपनी बात मैं.
------केशवेन्द्र------
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