अब तलक इश्क पे उम्मीद मेरी कायम है

हुस्न हरदम मिला पराया है मगर !
इश्क का अपने सर पे साया है मगर !!

तुम नही आते हो ख्वाबों तक में !
आंसू तेरी याद में आया है मगर !!

अब तलक इश्क पे उम्मीद मेरी कायम है !
इश्क की राह में धोखा बहुत खाया है मगर !!

इश्क की खातिर उठाया दुनिया का हर सलीब !
इश्क में खुद टूटे, इश्क को टूटने से बचाया है मगर !!

लो, आखिर इश्क की मंजिल पे आ ही पहुंचे हम !
इश्क की राहों में कदम कई बार लडखडाया है मगर !!

यार को देख कर चेहरे पे खिल उठी मुस्कान !
इस ख़ुशी की खातिर दिल दर्द से नहाया है मगर !!

टिप्पणियाँ

smita ने कहा…
इश्क में खुद टूटे, इश्क को टूटने से बचाया है मगर !! this is just heart touching line....
keep it up...

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बादलों के घेरे में

"एक शेर अपना, एक पराया" में दुष्यंत कुमार के शेरों का काफिला

आत्ममुग्धता