तन्हाई
जब कभी तन्हा-तन्हा होता हूँ
आंसू आते नहीं, पर रोता हूँ
सोचता हूँ कि यादों से जरा दूर रहूँ
फिर भी यादों के संग ही होता हूँ
याद आता है की पैरों में है जंजीर पड़ी
जब कभी उड़ने को मैं होता हूँ
रट रहा राम-राम, मरम जानता ही नहीं
प्रेम की रट लगाये मैं भी एक तोता हूँ.
जाने क्या गम है, दिल मेरा नम है
दुनिया क्या जाने, हँसता हूँ न रोता हूँ
भीड़ में खुद को ढूंढे फिरता हूँ
वहीँ तनहाइयों में खुद को मैं खोता हूँ.
आंसू आते नहीं, पर रोता हूँ
सोचता हूँ कि यादों से जरा दूर रहूँ
फिर भी यादों के संग ही होता हूँ
याद आता है की पैरों में है जंजीर पड़ी
जब कभी उड़ने को मैं होता हूँ
रट रहा राम-राम, मरम जानता ही नहीं
प्रेम की रट लगाये मैं भी एक तोता हूँ.
जाने क्या गम है, दिल मेरा नम है
दुनिया क्या जाने, हँसता हूँ न रोता हूँ
भीड़ में खुद को ढूंढे फिरता हूँ
वहीँ तनहाइयों में खुद को मैं खोता हूँ.
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