हाय-हाय री निंदिया
नींद भी इक नशा है जिसका असर कुछ कम नही
नींद में हो तो ज़माने भर का कोई गम नही
नींद की खातिर सहे क्या-क्या सितम हम ने नही
फिर भी दामन नींद का छोड़ा कभी हम ने नही
किनारे पर हाथ थामे और छोड़ दे मझधार में
लोग ऐसे बहुत इस दुनिया में उनमे हम नही
नींद की खातिर सही है जिल्लतें- दुश्वारियां
फिर भी यारी नींद से अपनी हुई कुछ कम नहीं
जिन्दगी की जरुरत भी, मौत की आहट भी नींद
नींद क्या है, क्या कहूं,इसे जानना मुमकिन नही
नींद है तो ख्वाब है और ख्वाबों से है जिन्दगी
नींद ना हो तो किसी की जिन्दगी रौशन नही.
नींद में हो तो ज़माने भर का कोई गम नही
नींद की खातिर सहे क्या-क्या सितम हम ने नही
फिर भी दामन नींद का छोड़ा कभी हम ने नही
किनारे पर हाथ थामे और छोड़ दे मझधार में
लोग ऐसे बहुत इस दुनिया में उनमे हम नही
नींद की खातिर सही है जिल्लतें- दुश्वारियां
फिर भी यारी नींद से अपनी हुई कुछ कम नहीं
जिन्दगी की जरुरत भी, मौत की आहट भी नींद
नींद क्या है, क्या कहूं,इसे जानना मुमकिन नही
नींद है तो ख्वाब है और ख्वाबों से है जिन्दगी
नींद ना हो तो किसी की जिन्दगी रौशन नही.
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