मेरी त्रिवेनियाँ-1

साथियों, ऑरकुट की कम्युनिटी महकार-ऐ-शफक पर लिखी अपनी जनवरी तक की त्रिवेणियों को आपके सामने रख रहा हूँ. प्रयास कैसे हैं ये तो आप लोग ही बताएँगे.


*This is my first trial to write a Triveni,


नेता-अफसर मिलकर के खाते जाते देश

और इधर टीवी पर बिग बी देते हैं सन्देश


हाजमोला-हजम सब चाहे जब(बिना डकार लिए)
29.12.2009
 
 
 
*दिल की राख जब से फिजाओं में बिखरी है


इन फिजाओं में फैली भीनी-भीनी खुशबू है.




दिल भले राख हो गया हो मगर दिल है ना.
30.12.2009
 
 
 
*नव वर्ष शिशु आया है नयी आशाओं के साथ

नव वर्ष शिशु आया है मुस्कान की भाषा के साथ


तुम्हारे हाथों में बन्दूक देख डर ना जाये वो कहीं.
01.01.2010
 
 
 
*अनमना-सा मन है, पीड़ा है अनकही


तुमको क्या, करते रहो तुम अपनी बतकही




वैसे भी तुम तो खुशियों के ही साथी हो.
03.01.2010
 
 

*Aaj raat meri 'Wo' jo mujhse kah rhi thi, usi ko dhala hai maine is Triveni me-


और कुछ हो न पता पर पता है मुझको ये बात

आजकल नींद नही आती होगी तुमको सारी रात


की सारी नींद तेरी मेरे हिस्से में जो चली आई है.
05.01.2010
 
 

*lo meri Unka sawal to aaya hi tha-jawab bhi aa gaya. Gaur farmaye...


नींद तो दे दी मुझे, ख्वाब किसे दोगे

अपनी ख्वाबों की दुनिया में मुझे कहाँ रक्खोगे


तेरी ख्वाबों की दुनिया में वैसे भी जगह कहाँ?
05.01.2010
 
 
 

*तुझसे नाराजी मिट गयी है मगर

खुद से नाराज चल रहा हूँ मैं


ये भी गर मिट गयी तो मुश्किल है.
10.01.2010
 
 
*400th Triveni

is thread ke 4th century complete karne par is thread ke karta-dharta, likhne walon or padhne walon sabokon badhai...
(Ye Orkut ki Community Maquar-e-shafaq me Triveni ke is thread ke 400 ka aankada par karne par likhi thi)

ख्वाबों की मौत का पता नही चलता


ख्वाब इतनी खामोश मौत मरते हैं.




फिर भी लोग ख्वाब-ख्वाब करते हैं.
19.01.2010
 
 
*फर्क मेरे और तेरे ख्वाब का

मेरी परिन्दगी ख्वाब देखती है नीले आसमानों के

वहीँ तेरी दरिंदगी ख्वाब देखती है खूं में नहाने के.


ख्वाब तो दोनों ही हैं, मगर उनमें फर्क कितना है.
22.01.2010
 
 
 

*आज तन्हाई में हम खुश थे बहुत

तेरी यादों ने आ के था तड़पाया नही


चाँद को देखा-तेरी याद आई और, रोने लगे.
24.01.2010
 
 
 
*प्रेम के समंदर में शार्क मछली

तेरी आँखों की दरिया में डूबे

प्रेम के समंदर में निकलते है


सुना है उस समंदर में बहुत-सी शार्क मछली हैं.
25.01.2010
 
 
 
*मेरे चेहरे पे इक मुखौटा था


आज मुझको पता चला है कि

मेरे चेहरे पे इक मुखौटा था


खुद को खरा समझने वाला सिक्का खोटा था.
25.01.2010
 
 
 
 

*इश्क कि बीमारी में अब तो हमारा दम निकले

मेरे महबूब ये मजाक नही.. तेरी कसम निकले


करना हो इलाज तो करो वरना तेरे दर से हम निकले.
25.01.2010
 
 
 

*मेरी आँखों के आंसुओं कि तमन्ना थी

तेरी आँखों से निकलने की मगर


तुम आँखें मूंद के सोये रहे.
25.01.2010





*तेरे साथ चल रहा प' तेरी आरजू नही

कि जिसकी आरजू वो किसी और राह है


दिल को कितना भुलावा देके लोग जिया करते हैं.
27.01.2010
 
 
 

*आस निराश नही होनी थी

चाहे होनी अनहोनी थी


जब से शादी हुई बेचारा रोता फिरता है.
27.01.2010
 
 
 
*'अमन की आशा'


आजकल बंदूकों से फूल बरसा करते हैं

आजकल बमों के हमले में लोग नही मरते हैं


'अमन की आशा' में देखे आशा कितनी बाकी है.
27.01.2010





*इश्क में खुशियों का हिसाब तो करते हैं मगर

इश्क में आंसुओं का हिसाब नही होता


वैसे भी आंसू बिसलेरी की बोतलों में नही बिकते.
28.01.2010



*भावुक होने के साइड इफेक्ट


मुझे इस दुनिया ने मजबूर करके रखा है

तुम्हारे इश्क ने तुमसे ही दूर करके रखा है


ज्यादा भावुक होने के ये साइड इफेक्ट सारे हैं.
28.01.2010





*'My Name is Khan'


तेरी आँखों में मेरा इंतजार रहे

तेरे दिल में मेरा ऐतबार रहे


बस प्यार रहे मैं रहूँ ना रहूँ
28.01.2010




*आंसूं आँखों में संजोये रहे, रोये नहीं

ध्रुवतारे का पता नही, फिर भी खोये नही


तेरी यादों के दिए ने हमें बुझने ना दिया.
28.01.2010



*     जख्म नासूर ना बन जाये


नाउम्मीदी है कि जख्म-पर-जख्म दिए जाती है

उम्मीद मरहम लाने गयी सो लौटी नही कब से.


डर है कि जख्म नासूर ना बन जाये मरहम के आते-आते.
30.01.2010

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