छाई इक धुंध- सी उदासी है
सब तो है पर कमी जरा-सी है!
जिन्दगी लगता है कि बासी है!!
तेरी यादों के सर्द मौसम पर!
छाई इक धुंध- सी उदासी है!!
जिस्म की बात छोडो जाने दो!
रूह तक मेरी कब से प्यासी है!!
कान कब से मेरे तरस से गए!
तुम से मिलती नही शाबासी है!!
साथ तुम थी तो लगता था,ये दुनिया!
जन्नत तो नहीं है पर वहां-सी है!!
तू खफा मुझसे, कोई बात नही!
शुक्र है, यादें तेरी, मेहरबां-सी है!!
हाल अब तो है ये अपना कि!
जुबां होते हुए हालत बेजुबां-सी है!!
जिन्दगी लगता है कि बासी है!!
तेरी यादों के सर्द मौसम पर!
छाई इक धुंध- सी उदासी है!!
जिस्म की बात छोडो जाने दो!
रूह तक मेरी कब से प्यासी है!!
कान कब से मेरे तरस से गए!
तुम से मिलती नही शाबासी है!!
साथ तुम थी तो लगता था,ये दुनिया!
जन्नत तो नहीं है पर वहां-सी है!!
तू खफा मुझसे, कोई बात नही!
शुक्र है, यादें तेरी, मेहरबां-सी है!!
हाल अब तो है ये अपना कि!
जुबां होते हुए हालत बेजुबां-सी है!!
टिप्पणियाँ
kya kahar dha rahe ho......
Ek sher apna-ek paraya to andar tak choo gaya....!
ek shandar koshish thi jo had tak kamyab hai.....
subhan allah...