मेरी परिन्दगी ख्वाब देखती है
मेरी परिन्दगी ख्वाब देखती है नीले आसमानों के!
वहीँ तेरी दरिंदगी ख्वाब देखती है खूं में नहाने के!!
क़त्ल करना है तो कर छोड़ना तो छोड़ कर तू जा!
धमकियों के नही हैं, ना रहे दिन आजमाने के!!
ये डींगे लम्बी-लम्बी हांककर बहलाओ ना हमको!
नही अपने हुए तुम क्या हुए फिर तुम ज़माने के!!
की दौलत हाथ तो आई मगर रिश्ते भुला बैठे!
चलो फिर से चले हम खोज में खोये खजाने के!!
नयी बीबी के पास आया है सरहद से कोई फौजी!
बहाने ढूंढ़ता रहा छुट्टी भर वापस ना जाने के!!
मजा तो इश्क में आता है बदले अंदाज़-ऐ-मोहब्बत से!
चलो ढूंढे बहाने फिर नए इक-दूजे को सताने के!!
भला करने गए लोगों की अब है खैरियत मुश्किल!
नही ये वक़्त अब है ना रहे राहों से पत्थर हटाने के!!
जो उम्र होती है खेलने-कूदने-हंसने-गाने की!
उस उम्र में भूख सिखा देती है गुर कमाने के!!
वहीँ तेरी दरिंदगी ख्वाब देखती है खूं में नहाने के!!
क़त्ल करना है तो कर छोड़ना तो छोड़ कर तू जा!
धमकियों के नही हैं, ना रहे दिन आजमाने के!!
ये डींगे लम्बी-लम्बी हांककर बहलाओ ना हमको!
नही अपने हुए तुम क्या हुए फिर तुम ज़माने के!!
की दौलत हाथ तो आई मगर रिश्ते भुला बैठे!
चलो फिर से चले हम खोज में खोये खजाने के!!
नयी बीबी के पास आया है सरहद से कोई फौजी!
बहाने ढूंढ़ता रहा छुट्टी भर वापस ना जाने के!!
मजा तो इश्क में आता है बदले अंदाज़-ऐ-मोहब्बत से!
चलो ढूंढे बहाने फिर नए इक-दूजे को सताने के!!
भला करने गए लोगों की अब है खैरियत मुश्किल!
नही ये वक़्त अब है ना रहे राहों से पत्थर हटाने के!!
जो उम्र होती है खेलने-कूदने-हंसने-गाने की!
उस उम्र में भूख सिखा देती है गुर कमाने के!!
टिप्पणियाँ
खूब जम रही है ग़ज़ल....नए तेवर हैं....ग्रामर के हिसाब से मतला बहर से ख़ारिज है मगर बाकी सब ठीक है......क्या खूब कहा है
क़त्ल करना है तो कर छोड़ना तो छोड़ कर तू जा!
धमकियों के नही हैं, ना रहे दिन आजमाने के!!