मेरा कोई कारवां नही
मुझे जिन्दगी का मर्ज है
जिसकी कोई दवा नही
मैं जहां में तन्हा-तन्हा हूँ
यहाँ कोई मेरा हमनवां नही
मेरा दिल अभी भी है सीने में
ये कोई दिल-ए-नातवां नही
मैं अडिग हूँ अपनी जमीन पर
मुझे हिला सके वो हवा नही
लाखों हैं मेरे हमसफ़र
पर मेरा कोई कारवां नही
जिसकी कोई दवा नही
मैं जहां में तन्हा-तन्हा हूँ
यहाँ कोई मेरा हमनवां नही
मेरा दिल अभी भी है सीने में
ये कोई दिल-ए-नातवां नही
मैं अडिग हूँ अपनी जमीन पर
मुझे हिला सके वो हवा नही
लाखों हैं मेरे हमसफ़र
पर मेरा कोई कारवां नही
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